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रविवार, 20 दिसंबर 2009

प्यार


उस दिन मैंने फूल को छुआ
सहलाया और सूँघा,
हर दिन की तरह
उसकी पंखुडियों को नहीं नोंचा.

उस दिन पहली बार मैंने सोचा
फूल को कैसा लगता होगा
जब हम नोंचते है
उसकी एक-एक पंखुड़ी.

तब मैंने फूल को
फिर छुआ
फिर सहलाया
फिर सूँघा...

और मुझे लगा

हवाएं महक उठीं
प्यार की खुशबू से.

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